RAJASTHANI FILM SUBSIDY : दो राजस्थानी मूवीज को मिली 27 लाख की प्रोत्साहन राशि
RAJASTHANI FILM SUBSIDY : राजस्थानी भाषा में फिल्म निर्माण एवं प्रोत्साहन नीति 2022 के लागू होने के बाद पहला अनुदान दे दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 के अंतिम दिन 31 मार्च को 27 लाख रुपए का यह अनुदान दो राजस्थानी फिल्मों को दिया गया है। इनमें बाहुबली को 25 लाख रुपए और बींदणी भाग ज्यासी को दो लाख रुपए दिए गए हैं। इसके साथ ही बाहूबली नई नीति के तहत पूरा पच्चीस लाख रुपए का अनुदान प्राप्त करने वाली पहली फिल्म बन गई है।
बाहुबली फिल्म का निर्माण तीतरी प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है, जिसके निर्माता अजय तिवारी हैं। बींदणी भाग ज्यासी का निर्माण गोविंद सिंह ने किया है।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थानी सिनेमा इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए राजस्थानी फिल्मों को अनुदान देना शुरू किया था। पहली बार में यह राशि 5 लाख रुपए तक थी जिसे बाद में बढ़ाकर पहले दस, फिर 20 और उसके बाद 25 लाख रुपए किया गया। अनुदान मिलना शुरू होने से राजस्थानी फिल्म मेकर्स में खुशी की लहर है।
अब यूए सेंसर वाली मूवी को भी अनुदान
अनुदान की शुरुआत में सेंसर बोर्ड से सिर्फ यू सर्टीफिकेट प्राप्त फिल्मों को ही सहयोग राशि दी जाती थी। ऐसे में बहुत सी फिल्में इस क्राइटेरिया में नहीं आ पा रही थी। नई नीति में ऐसे निर्माताओं को राहत देते हुए राज्य सरकार ने यू के साथ ही यूए सर्टीफिकेट प्राप्त मूवीज को भी अनुदान देने की घोषणा की गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा फिल्मों को प्रोत्साहन राशि दी जा सके।
अब क्वालिटी रेटिंग के हिसाब से राशि
नई नीति में अनुदान राशि प्रीव्यू कमेटी के द्वारा मूवी की क्वालिटी के आधार पर दिए गए नंबरों और उनसे तैयार ग्रेडिंग के हिसाब से दी जाएगी। इसके लिए 100 नंबर का एक पेपर तैयार किया गया है। इसमें कथा-पटकथा, डाइरेक्शन, एक्टिंग, सांग, साउंड, एडिटिंग, सिनेमेटोग्राफी/वीएफएक्स के 10-10 नंबर हैं। इसके अलावा कोरियोग्राफी, आर्ट डाइरेक्शन, ध्वनि मुद्रण, एक्शन, लोकेशन और ड्रेस/शृंगार के 5-5 नंबर रहेंगे। क्वालिटी के हिसाब से प्रीव्यू कमेटी इनमें से नंबर देगी, जिनके आधार मूवी की ग्रेड डिसाइड होगी।
राजस्थानी फिल्मों के निर्माण में आएगी तेजी
नई नीति और अनुदान की राशि 25 लाख रुपए तक किए जाने से राजस्थानी फिल्मों के निर्माण में तेजी आएगी, ऐसा जानकारों का मानना है। उनका कहना है कि अब तक राजस्थानी मूवीज निर्माता के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही थीं, लेकिन अब राज्य सरकार की ओर से किए गए इन प्रयासों से उम्मीद जगी है कि यह कलंक मिटेगा और साल में औसतन 5-10 फिल्में देने वाली इंडस्ट्री ज्यादा फिल्में बनाएगी। फिल्में ज्यादा बनेंगी तो राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कलाकारों, तकनीशियनों और लेखकों को काम मिलेगा। यहां सिनेमा में रोजगार बढ़ेगा तो यहां की प्रतिभाओं का मुंबई पलायन रुकेगा।
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